छिप - छिपकर रोता हूँ...
छिप - छिपकर रोता हूँ…
मैंने गीत लिखना छोड़ दिया क्यूँ?
ऐ सनम ये ना पूछ ।
अब नहीं लिख पाता हूँ
तेरे नाम के अलावा कुछ ।
अपने दामन में खुद ही, आँसू के बीज बोता हूँ ।
आज भी अकेले में, छिप - छिपकर रोता हूँ ।
ये गुस्सा एक आवरण है, मुझे पता है
रुठा मेरा यार नहीं है ।
दिल पे हाथ रख के पूछा था
झूठा मेरा प्यार नहीं है ।
यूँ जब से तू रुठी है, तब से कहाँ मैं सोता हूँ ।
आज भी अकेले में, छिप - छिपकर रोता हूँ ।
तेरे जाने की तड़प और आने की आश
मेरे नयन तक रहे।
मेरी खुशी और गम की दास्तान
तेरे चयन तक रहे।
आज भी तेरी उस तस्वीर में, वैसे ही खोता हूँ ।
आज भी अकेले में, छिप - छिपकर रोता हूँ ।
चाँद को आधा देखकर
सितारों के साथ, बुरा लगता है ।
जैसे तेरे साथ बिना
ये हाथ अधूरा लगता है ।
इस अधूरेपन का बोझ, अकेले ही ढ़ोता हूँ ।
आज भी अकेले में, छिप - छिपकर रोता हूँ ।
दुनिया कहती है तेरी यादों ने
मुझे बर्बाद किया है ।
ना जाने फिर क्यूँ मैंने
ख़ुदा से ज्यादा तुझे याद किया है ।
जो मेरे ना हो सके, उन यादों को आज भी संजोता हूँ
आज भी अकेले में, छिप - छिपकर रोता हूँ ।
पर दोस्तों के मुस्कान के बीच
उन लम्हों को भूला देता हूँ ।
समय की कब्र में तेरी
यादों को सुला देता हूँ ।
पर आज भी कभी जब शेरों - शायरी संग होता हूँ
सच कहता हूँ अकेले में,
छिप - छिपकर रोता हूँ ।
-दीपक कुमार साहु
-Deepak Kumar Sahu
- दामन- end of a saree(here on the cloth)
- आवरण- Deception
- दास्तान- Tale
- चयन - Choice
- संजोना - To create / to construct
As always it's awesome deepak
ReplyDeleteThanks suchi
Delete😊😊😊
👏👏👏 aaj v akele me chup chup k rota hu 😢 Dil chu lia tumne
ReplyDeleteThanks Neha 😊😊😊
DeleteLots of secrets in loneliness,🙂😇
ReplyDeleteThanks yaar vineeta😊😊😊
DeleteFadd diya boss..
ReplyDeleteEk adhure aashiq ki dastaan likh dete ho yaar .. superb !
Thanks Niswarth... 😊😊😊
DeleteThanks Niswarth... 😊😊😊
DeleteMei kuch likhoon aur...??
ReplyDeleteLikh bhai 😉
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