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Showing posts from 2016

Letting The Lights

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Letting The Lights Alone with my pen & pain Savouring a silent day Let me write a harsh part From my life’s play I want to do things, I long for. Things to which my talents belong for. Developing my skills & running behind the golden crown. I fail to manage time & My personal life goes down. I want to be a good student, a good player, a good person. But these efforts make me a bad lover, bad friend & a bad son. I work hard all day long & come back with throbbing veins. I then crave for people who may act as quenching rains. Feeling that, I have someone to share my sorrows & trouble, They chide me instead & my agony is doubled. They feel that I recall them Only when I am in need. But truth is, I have a special place for each one indeed. My imbued impatience comes into my talks Making me insolent & putting them in shock. Broken hearts, Shattered trusts, Whe

यादों की बारिश

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यादों की बारिश जब ठंडी हवा ने तन को छुआ मन में उठी एक हूक । जीवन की नदिया में बहते बहते दिल ने कहा “ एक पल को रुक “। गगन से जब बूँदें गिरीं यादों का रेगिस्तान गिला हो चला। मेरे समक्ष, तेरे संग बिताए पलों का सिलसिला हो चला । बाहर वो तालाब, बारिश से पहले आइने जैसा साफ था । जैसे किसी सोते बच्चे की मासूमियत का नाप था। फिर रिमझिम बौछारों से धुंधला हुआ उस शीशे का तन। मानो जैसे अठखेलियाँ करता हो कोई चंचल मन। यादों की बारिश के धुंधले पानी में तुम्हारा चेहरा दिख रहा है । है दिल ये मेरा तुमसे दूर अकेले रहना सीख रहा है । इस बारिश को देख कर…… तुम संग अकेले उस रात भींगना याद आ गया । इस बारिश दिलो-दीमाग में वही फरियाद छा गया । चाय की कप साथ है पर तेरी कमी खल रही है । और तो और बारिश भी मुझे मृगतृष्णा सी छल रही है। इस खिड़की के भीतर ये दिल अब ऐसे है ज़िंदा, पिंजड़े से बाहर देखता जैसे कोई परिंदा। तेज़ हवाओं में खुलती बंद होती ये खिड़की । और मेरे बटुए की तस्वीर में वो लड़की। हवा की दिशा बदलकर वर्ष

When Did I Become Old?

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When Did I Become Old ? Was it the day when people Saw my tired eyes & wrinkle? Or the day when first time A child called me uncle? Was it the day when I left hide and seek And started playing chess? Or the day from which I started to talk less? Was it the day when I left the playground & craved for chair? Or the day when I plucked out My first white hair? Was it the day when the meaning of death, I dared to accept? Or the day when I started counting my days left? Was it the day when for the first time, I told a lie? Or the day when people started calling me shy? Was it the day when I left my toys & started playing with words? Or the day when I realised that I can’t really fly with the birds? Was it the day when my toys were covered with dust? Or the day when I understood “ The difference between love & lust ”? Was it the day when I stopped playing with sand and dust? Or the day w

मौत का इंतजार

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मौत का इंतजार मुझ हँसते इन्सान को तुम अंदर से तोड़ गई। नफरत की इस दुनिया में इतना तन्हा छोड़ गई। पर तेरे संग बीता वो कल याद है। मुहब्बत में मदहोशी का पल पल याद है। उन्हीं यादों से अब भी प्यार कर रहा हूँ। मौत का इंतजार कर रहा हूँ। तुम लौटकर आओगी आज भी मुझे भरम है। आश का ये दीपक ही मेरे जख्मों पर मरहम है। तुम्हारे देर करने पर राह तकना याद है। तुम्हारे गोद में सिर रखना याद है। उन्हीं यादों से अब भी प्यार कर रहा हूँ। मौत का इंतजार कर रहा हूँ। अकेलेपन में अब खुद से बातें करने लगा हूँ। तुम्हारा दिया गुलाब देखकर पल - पल मरने लगा हूँ। भरी महफिल में किया तुम्हारा इज़हार याद है। उसी महफिल में किया मेरा इकरार याद है। उन्हीं यादों से अब भी प्यार कर रहा हूँ। मौत का इंतजार कर रहा हूँ। दिल का घर मकान बनकर अब खाली कुछ ऐसा है। कि तुम्हारे जाने के बाद भी हर सामान वैसे का वैसा है। जीवन के पन्नों में तुम्हारी सूरत याद है। जिससे प्यार किया वो पावन मूरत याद है। उन्हीं यादों से अब भी प्यार कर रहा हूँ। मौत का इंतजार कर रह

लतीफा याद रखना

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लतीफा याद रखना ना कुरान, ना गीता याद रखना। मेरे दोस्त लतीफा याद रखना। दुख तो आज अपने ही दे जाते हैं, तुम औरों को अपना बनाना। वो भले चोट देकर जाएँ तुम उन्हें हमेशा हँसाना। बीते कल का स्वाद, ना तीता याद रखना। ना कुरान, ना गीता याद रखना। मेरे दोस्त लतीफा याद रखना। बिना हँसी के जीवन का हर ख्वाब मगरूर होता है। कामयाब इंसान खुश हो ना हो पर खुश इंसान कामयाब जरुर होता है। वर्ना कामयाबी में हँसी का रीता याद रखना। ना कुरान, ना गीता याद रखना। मेरे दोस्त लतीफा याद रखना। “खुशी एक दृष्टिकोण है ”-वो नहीं समझेंगे जिन्हें औरों का पतंग काटना आता है। ज्ञानवान तो वो है जिसे खुशी तलाशना नहीं बाँटना आता है। कम से कम तेरा बचपन कैसे बीता याद रखना। ना कुरान, ना गीता याद रखना। मेरे दोस्त लतीफा याद रखना। “जिंदगी सैकड़ों वजह से रुलाएगी” किसी पर ना ताने कसना। सैकड़ों मुसीबत के बीच भी तुम हर बहाने हँसना। किसी हँसते बच्चे का, जूता बाँधते वक्त वो फीता याद रखना। ना कुरान, ना गीता याद रखना। मेरे दोस्त लतीफा याद रखना। मूरत बिना भग