Posts

Showing posts from December, 2016

Letting The Lights

Image
Letting The Lights Alone with my pen & pain Savouring a silent day Let me write a harsh part From my life’s play I want to do things, I long for. Things to which my talents belong for. Developing my skills & running behind the golden crown. I fail to manage time & My personal life goes down. I want to be a good student, a good player, a good person. But these efforts make me a bad lover, bad friend & a bad son. I work hard all day long & come back with throbbing veins. I then crave for people who may act as quenching rains. Feeling that, I have someone to share my sorrows & trouble, They chide me instead & my agony is doubled. They feel that I recall them Only when I am in need. But truth is, I have a special place for each one indeed. My imbued impatience comes into my talks Making me insolent & putting them in shock. Broken hearts, Shattered trusts, Whe

यादों की बारिश

Image
यादों की बारिश जब ठंडी हवा ने तन को छुआ मन में उठी एक हूक । जीवन की नदिया में बहते बहते दिल ने कहा “ एक पल को रुक “। गगन से जब बूँदें गिरीं यादों का रेगिस्तान गिला हो चला। मेरे समक्ष, तेरे संग बिताए पलों का सिलसिला हो चला । बाहर वो तालाब, बारिश से पहले आइने जैसा साफ था । जैसे किसी सोते बच्चे की मासूमियत का नाप था। फिर रिमझिम बौछारों से धुंधला हुआ उस शीशे का तन। मानो जैसे अठखेलियाँ करता हो कोई चंचल मन। यादों की बारिश के धुंधले पानी में तुम्हारा चेहरा दिख रहा है । है दिल ये मेरा तुमसे दूर अकेले रहना सीख रहा है । इस बारिश को देख कर…… तुम संग अकेले उस रात भींगना याद आ गया । इस बारिश दिलो-दीमाग में वही फरियाद छा गया । चाय की कप साथ है पर तेरी कमी खल रही है । और तो और बारिश भी मुझे मृगतृष्णा सी छल रही है। इस खिड़की के भीतर ये दिल अब ऐसे है ज़िंदा, पिंजड़े से बाहर देखता जैसे कोई परिंदा। तेज़ हवाओं में खुलती बंद होती ये खिड़की । और मेरे बटुए की तस्वीर में वो लड़की। हवा की दिशा बदलकर वर्ष