मौत का इंतजार
मौत का इंतजार मुझ हँसते इन्सान को तुम अंदर से तोड़ गई। नफरत की इस दुनिया में इतना तन्हा छोड़ गई। पर तेरे संग बीता वो कल याद है। मुहब्बत में मदहोशी का पल पल याद है। उन्हीं यादों से अब भी प्यार कर रहा हूँ। मौत का इंतजार कर रहा हूँ। तुम लौटकर आओगी आज भी मुझे भरम है। आश का ये दीपक ही मेरे जख्मों पर मरहम है। तुम्हारे देर करने पर राह तकना याद है। तुम्हारे गोद में सिर रखना याद है। उन्हीं यादों से अब भी प्यार कर रहा हूँ। मौत का इंतजार कर रहा हूँ। अकेलेपन में अब खुद से बातें करने लगा हूँ। तुम्हारा दिया गुलाब देखकर पल - पल मरने लगा हूँ। भरी महफिल में किया तुम्हारा इज़हार याद है। उसी महफिल में किया मेरा इकरार याद है। उन्हीं यादों से अब भी प्यार कर रहा हूँ। मौत का इंतजार कर रहा हूँ। दिल का घर मकान बनकर अब खाली कुछ ऐसा है। कि तुम्हारे जाने के बाद भी हर सामान वैसे का वैसा है। जीवन के पन्नों में तुम्हारी सूरत याद है। जिससे प्यार किया वो पावन मूरत याद है। उन्हीं यादों से अब भी प्यार कर रहा हूँ। मौत का इंतजार कर रह